सुनी नहीं जाती
सुनी नहीं जाती


बात दिल की सुनी नहीं जाती
बेरुख़ी अब सही नहीं जाती।
याद आती हैं तेरी बातें जब
आँख से फिर नमी नहीं जाती।
मिल गई है मुझे खुशी सारी
फिर भी तेरी कमी नहीं जाती।
रूह में अब तो बस गया है तू
चाह तेरी कभी नहीं जाती।
है सियासत नही
ं ये चाहत है
चाल कोई चली नहीं जाती।
लाख कोशिश करूँ मनाने की
तेरी नाराज़गी नहीं जाती।
रूठ जाती हूँ ,मान जाती हूँ
बेख़ुदी अब तो की नहीं जाती।
है नसीबों की ये कहानी सब
अब ये क़िस्मत लिखी नहीं जाती।