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Indu Mishra

Others

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Indu Mishra

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ग़ज़ल

ग़ज़ल

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तुम्हारी याद को मैं गुनगुनाती हूँ, तो हंगामा,

मुहब्बत आँख से जब मैं जताती हूँ, तो हंगामा।


मेरी तन्हाइयों में वो सदा ही साथ रहता है,

उसे जब पास में अपने बुलाती हूँ, तो हंगामा।


सियासत के खिलाड़ी तो सदा बातों में रहते हैं,

उसे कमियाँ मैं सारी जब बताती हूँ तो हंगामा।

 

न जाने क्यों किया है क़त्ल उस मासूम बच्चे का,

उसे क़ातिल मैं उसका जब बताती हूँ, तो हंगामा।


दुआओं में खुशी जिसकी सदा माँगा किया हमने,

उसी के दर्द में आँसू बहाती हूँ, तो हंगामा ।

     



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