सुन ले अरज़ मेरी श्याम
सुन ले अरज़ मेरी श्याम
मेरे घट घट का तू वासी,
अंतर्यामी ओ अविनाशी,
न तडपाना अब तू मुझ को,
सून ले अरज मेरी श्याम।
तेरे द्वार आई है प्यासी,
प्यास बुझा दे मैं तेरी दासी,
शरण में ले ले अब तू मुझ को,
सुन ले अरज मेरी श्याम।
वन उपवन में ढूंढ रही हूँ ,
राह न देखूं पटक गई हूँ ,
न तरसाना अब तू मुझ को,
सून ले अरज मेरी श्याम।
सुंदर मूरत दिखा दे तेरी,
अमी से भर दे नज़र तू मेरी,
दर्शन दे दे अब तू मुझ को,
सून ले अरज तू मेरी श्याम।
सकल जगत का तू रखवाला,
"मुरली" का तू एक सहारा,
दूर न करना अब तू मुझ को,
सून ले अरज मेरी श्याम।