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DrMousumi Parida

Romance

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DrMousumi Parida

Romance

सुकून ले गया हो कोई

सुकून ले गया हो कोई

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कल शाम आखों में बारिश लिए 

मन में यादों की घटा छाई।

दिल को मजबूर कर के 

जैसे सुकून ले गया हो कोई।


हम हम न थे 

वह पल भी हमारा न था।

दिल में उदासी के ज्वार लिए 

बारिश भी क्या गजब ढा रही थी।


गीली मिट्टी की भीनी-भीनी खुशबू 

फूलों की पंखुड़ियों में पानी के मोती 

बादल में बिजली का चमकता तार 

छम छम बरसता पानी। 


रात को उदास और 

मन को बेबस कर के चल पड़े थे 

अतीत की तरफ

सारे अफसाने लिये।


यह बारिश में भी क्या कशिश थी 

दिल को प्यास में डूबा के

आंखों को भिगोती थी।


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