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DrMousumi Parida

Others

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चाँद का ठिकाना

चाँद का ठिकाना

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तपते हुआ सूरज से एक दिन 

पूछा था चाँद का ठिकाना,

हँस कर टाल दिया।

न जाने कैसी दुश्मनी थी एक दूसरे से,

चाँद ने क्या खूब कहा 

"सूरज की किरणों में टिके रहना 

मेरे नसीब में कहाँ "

सूरज वास्तविकता व परेशानी लिए 

दस्तक देता है दरवाजे पे,

चाँद प्रेम लिए दिल में खटखटाता है।

एक जीने का साधन बटोरता है 

दूसरा जीना सिखाता है।

दिन भर के भाग दौड में झुलसा हुआ 

थका हारा तन मन चाँद को तलाशें

निकल पड़ता है चांदनी की चाशनी में 

घूला हुआ प्रेमी से मिलने।

थम जाते है लम्हे।

प्यार को परवान चढता हुआ देख 

चांदनी की आंखों में नमी, 

कहीं न कहीं वह भी सूरज को

तरसती रहती है।


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