सुकून की छांव
सुकून की छांव
मुफलिसी जब अमीरी से
गुफ्तगू करने लगी
बाजी पलटती नजर आई।
अमीरी में मुफलिसी और
मुफलिसी में अमीरी नजर आई
बदलते चेहरे उलझाते बहुत हैं।
कभी मिठास तो कभी कड़वाहट
दिखाते बहुत है।
सुकून की छांव लेने
आंगन में घंटों बातें करने।
शहर के बाशिंदे आ जाते हैं
अभी भी उनके दिलों में
गांव बसता है, बता जाते हैं।