सुबह
सुबह
बीती रात कमल दल फूले,
पक्षी डाल डाल पर है झूले।
आसमान में देखो, सूरज उजले,
ठंडी हवा बहने लगी गगन तले।
आशाओं के नए दीप जले,
मंजिल ढूंढते निकले अकेले।
रोशन साहस की राह खिले,
आलस्य की घटा चुपचाप ढले।
ओस की बूंदें गिरती पहले,
कलियां शरमाई, भोर भले।
आंखों में लाखों सपने पले,
सब जन अपने काम पे चले।