STORYMIRROR

SIJI GOPAL

Drama

3  

SIJI GOPAL

Drama

सुबह

सुबह

1 min
349

 बीती रात कमल दल फूले,

पक्षी डाल डाल पर है झूले।

आसमान में देखो, सूरज उजले,

ठंडी हवा बहने लगी गगन तले।


आशाओं के नए दीप जले,

मंजिल ढूंढते निकले अकेले।

रोशन साहस की राह खिले,

आलस्य की घटा चुपचाप ढले।


ओस की बूंदें गिरती पहले,

कलियां शरमाई, भोर भले।

आंखों में लाखों सपने पले,

सब जन अपने काम पे चले।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama