"सुबह-सुबह"
"सुबह-सुबह"
बीत गई है,अब यह रात
हो गया है,अब तो प्रभात
आलस्य त्याग दो,आप
करो आप नई,शुरुआत
स्वप्नों से करनी है,बात
कर्म करो,आप लगातार
भूलो भूत बुरी मुलाकात
नव सवेरे किरण साथ
लक्ष्य ओर करो,सिंहनाद
सुबह-सुबह होते है,साखी
कुछ करने के जज्बात
सुबह,रूहानी अहसास
देता है,भीतर शब्द नाद
इसका लाभ उठाओ,आप
जुट जाओ,कुछ कर जाओ
वक्त न आयेगा,दुबारा हाथ
बीत गई है,अब यह रात
हो गई है,अब तो प्रभात
छिप गये है,सारे सितारे
आई भोर रोशनी ले साथ
कहते भोर का देखा ख्वाब
हकीकत में होता है,साँच
यह उनके लिये है,सज्जाद
जो कर्मवीर है,कलाकार
वो जिंदगी के रंगमंच पर
बनते है,नायक हरबार
जो सवेरे-सवेरे करते है,
सफल होने का प्रयास
मिल जाती,उन्हें मंजिल
जो बढ़ाते कदम,लगातार
और जो सुस्ताते रहते है
वो होते असफल,हरबार
जिन्हें सुबह होने के साथ
कर्म योजना होती,याद
जिनके इरादों में है,जान
छूते एकदिन,आसमान
बिना मेहनत के साथी
कभी न मिलती,मुस्कान
पैर तो बढ़ा मंजिल ओर
देखते कैसे न बनेगी,बात।