सतयुग का आभास
सतयुग का आभास
कोई ना समझा अब तक जो वह अर्थ बताने आई हूं
कोविड जो संदेशा लाया वह समझाने आई हूं
बहुत हुआ प्रदूषण तुम्हारा अब फैलाओ शुद्ध हवा
पवन गुरु यह कहते हमसे उम्र रहेगी तभी जवां
पिता पानी यह कहते हमसे जल को मत करो गंदा
जिससे जल प्रदूषित हो करते ही क्यों हो ऐसा धंधा
प्लास्टिक का बंद करो उत्पादन और करो पेड़ों का रोपण
धरती मां कहे पुकार पुकार अब तो समझो हे नादान
पवन पानी और धरती हमसे कहते रखो अपने शरीर का ध्यान
अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ दूसरे प्राणियों का भी करो मान
यह तो हम से प्रेम है करते फिर क्यों करें इनका दुरुपयोग
भूले थे हम मिल जुल कर रहना अब सीख रहे हैं करना सहयोग
वह वक्त भी आएगा जब कोविड चला जाएगा
याद रखेंगे सब इसका सबक कि निस्वार्थता यह सिखाएगा
काम क्रोध मद लोभ मोह जैसे विकार जो उपजे हैं अहंकार से
भान भी ना होगा हमें और यह सब खत्म हो जाएंगे इस संसार से
नया सवेरा नया उजाला धरती पर सतयुग आएगा
हम सब से मिलने धरती पर अकाल पुरुष परमात्मा स्वयं आएगा
धरती हो जाएगी सत्य से भरपूर
अनोखा सा देश होगा कुछ ना पास होगा ना दूर
हर तरफ होगी संतुष्टि प्रेम और शांति
दीप्यमान हो हम सभी बिखेरेंगे निर्मल कांति।
