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Kalpesh Vyas

Inspirational

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Kalpesh Vyas

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सत्य और असत्य

सत्य और असत्य

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सत्य और असत्य की हरदम की उधेड़बुन में

अर्धसत्य को ही सत्य ही मान लिया जाता है

बावजूद सत्य होते हुए जो साबित न हो सके

सबूतों के अभाव से उसे असत्य मान लिया जाता है


आत्मविश्वास के साथ कहे जाने वाले

असत्य को सत्य क्यूँ मान लिया जाता है?

आत्मविश्वास के बिना कहे जाने वाले

सत्य को असत्य क्यूँ मान लिया जाता है?


सत्य तो सत्य होता है, वह कभी बदलता नही है

उसे असत्य की चादर तले दबा दिया जाता है

और वह चद्दर उड़ न जाए इसलिए उस पर

पहचान और धन का वजन रख दिया जाता है


जानने के बावजूद सत्य को नज़रअंदाज़ कर के

असत्य को ही सत्य क्यूँ मान लिया जाता है?

'सच्चे का बोलबाला ,झूठे का मुँह काला!'

इस कहावत को झूठा साबित किया जाता है


जब बचपन से आदत पड़ी हो असत्य सुनने की

तो बड़े हो कर सत्य भी कहाँ बोला जाता है

सत्य की मशाल ले कर कोई निकल पड़ता है

तो असत्य का बादल मशाल को बुझा जाता है


और आज के इस प्रेक्टिकल दौर मे

एक सत्य तो अवश्य समझ मे आता है

सत्य- असत्य कम बोला जाता है

योग्य-अयोग्य ज़्यादा बोला जाता है


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