।।स्तुति चारो धाम की।।
।।स्तुति चारो धाम की।।
जय हो जय हो बाबा रामेश्वरम धाम।
स्थापित शिवलिंग किया जहाॅ॑ श्री राम।
बना पुरोहित जहाॅ॑ था रावण।
वेद मंत्र पढ़ कराया शिव लिंग स्थापन।
प्रतिदिन सुमरूॅ॑ द्वारिका धाम।
बनते जहाॅ॑ पर बिगड़े काम।
कृष्ण कन्हैया की पावन नगरी।
अति सुन्दर है अति मनोहारी।
जय बाबा केदार नाथ की।
सब की पूरी हो मुराद मन की।
सुबह शाम हम करें आरती।
मंदिर ज्योति जले दिन राती।
जय हो जय हो बद्री विशाल की।
जय विष्णु जय कमलाकांत की।
करने दर्शन को दुनिया आती।
बहु भाॅ॑ति तेरा सुमिरन करती।
चारो तीरथ धाम हैं प्यारे।
दर्शन को प्यासे प्राणी सारे।
सबकी आस्था तीर्थ धाम में।
आती समृद्धि मानव के काम में।
