स्त्री:- एक महाशक्ति
स्त्री:- एक महाशक्ति
अडिग, अविचल,
अनंत, अबोध,
अबूझ, अजेय,
एक कहानी तुम !!
विरक्त, विजयी
विनयी, विधर्भित
वीर, वरदायी
वाक् विज्ञानी तुम !!
शिव तुझसे ही
साकार है !!
ब्रह्म, अगोचर
निराकार है !!
श्री विष्णु का
सकल अवतार है !!
हे आदिशक्ति तेरे
अनंत आकार है !!
वंदन है
आभार है
न दोष ना
कोई विकार है !!
निज समर्पण को
तू तैयार है !!
तुझपे सारी
धरती का भार है !!
निशदिन, प्रतिपल,
चलता समर !!
तू आदि, अंत है,
तू ही अमर !!
तू जग की
सतत धुरी है !!
तेरा जग में
होना जरुरी है !!
दुर्गा, अम्बा,
कालिका
चंडी भी तो
तू बनती है !!
तुझसे चलता
है विश्व ये,
बनकर माता
जीवो को तू
जनती है !!
ताप देख
संताप देख
तू नारी है !!
तेरा प्रताप देख !!
तूने धरे है रूप कई,
तू खुद को अपने आप देख !!
धरती को तूने
साधा है !!
बिन तेरे जग,
नीरस आधा है !!
त्याग ग्लानि,
सत्य देख,
तू कृष्ण स्वयं,
तू राधा है !!
धर्मार्थ किया !!
परमार्थ किया !!
पुरुष से बढ़के,
पुरुषार्थ किया !!
निज ह्रदय कितना
निस्वार्थ किया !!
तूने भारत को
भारत पार्थ किया !!
वरण हो !!
स्मरण हो !!
जग में पुनः स्त्री
का अनुसरण हो !!
कर्म कर उत्कृष्ट
हे शक्ति
देव भी
तेरी शरण हो !!