सरहुल
सरहुल
प्रकृति पूजन का यह पर्व निराला,
स्वागत में साल के फूलों की माला।
आदिवासियों का त्योहार है अपना,
प्रकृति पूजन का व्यवहार है सपना।
सरई फूलों से है सरना सजता,
ढोल, नगाड़ा, मांदर है बजता।
पाहन सब हैं उपवास में रहते,
सूंडी का भरदम वो भोग लगाते।
धरती माॅं को समर्पित है मन,
सरहुल है प्रकृति का पूजन।
मत करो प्रकृति का दोहन,
ये संदेश दे गए हैं मोहन।।
सरहुल पर्व के हैं नाम अनेक,
खुदी, बा, जंकोर, बाहा पर्व नेक।
नववर्ष में स्वागत और सत्कार,
सरहुल में है सभी को जोहार।।
