सपना
सपना
इन गुज़रे पलो को कस के बांध लेती हूँ
जब जिक्र होता है तेरा
तो खोल के एक लम्हा चुरा लेती हूँ
लम्हे से एक धुन याद आती है
जो हम सुना करते थे
फिर क्या
इसी पल को भी सपना बना के बाँध लेती हूँ
इन गुज़रे पलो को कस के बांध लेती हूँ
जब जिक्र होता है तेरा
तो खोल के एक लम्हा चुरा लेती हूँ
लम्हे से एक धुन याद आती है
जो हम सुना करते थे
फिर क्या
इसी पल को भी सपना बना के बाँध लेती हूँ