सफर
सफर
चल दी हूँ
जिंदगी के इस
अनजान सफर
पर फिर एक बार।
ना कोई मंजिल
ना कोई साथी।
बस तलाश बाकी है
एक हम सफर की।
एक साथी की
जो जिंदगी के
सफर में मेरा
साथ निभाये।
मैं रूठूँ तो
मुझे मनाये।
हर एक नाज
मेरा हँस के उठाये।
चल दी हूँ
जिंदगी के इस
अनजान सफर
पर फिर एक बार।
ना कोई मंजिल
ना कोई साथी।
बस तलाश बाकी है
एक हम सफर की।
एक साथी की
जो जिंदगी के
सफर में मेरा
साथ निभाये।
मैं रूठूँ तो
मुझे मनाये।
हर एक नाज
मेरा हँस के उठाये।