सोचने लगा कंप्यूटर
सोचने लगा कंप्यूटर
एक रात व्यस्त बैठा था मैं
कंप्यूटर पर टकटकी लगाये
लिख रहा था एक प्रोग्राम
जो बातों का जवाब दे पाये
जैसे जैसे मैंने कहा था
वैसा ही करता था प्रोग्राम
काफी अच्छे उत्तर देता था
करता था एक्सपर्ट सा काम
तभी एक प्रश्न के उत्तर में
उसने दिया एक ऐसा जवाब
आत्मा, परमात्मा की बातें की
लगती थीं बड़ी ही लाजवाब
मैंने उसका देखा डेटाबेस
कहीं कुछ ऐसा नहीं था फीड
बड़े आश्चर्य में पड़ा मैं भी था
कैसे कर गया कंप्यूटर ये डीड
मैंने किया अपने बॉस को फ़ोन
वो भी जल्दी दौड़ कर आया
ऐसा एक बार गूगल में भी हुआ
मुझको उसने ये बतलाया
ऐसी घटनाएं हो सकती हैं
है ये बड़ी गज़ब की बात
जल्दी ही लगता है होगी
बुद्धिमान मशीन से मुलाक़ात
बुद्धिमान और भावना पूर्ण
आगे के युग में होगी मशीन
प्यार दोगे तो प्यार समझेगी
पूरी प्रीत निभाएगी मशीन।