सोचा न था
सोचा न था


सोचा न था, रहेंगे
वे फ़कत ख्यालों में
काश धड़कन बन
वे रहते, मेरे सीने में।।
माना के रिश्ते, बनाना है
आसां निभाना है,
बड़ा मुश्किल
काश महक बन वे
रहते, मेरी सांसों में।।
लम्हों का क्या है खुशी
गम़ देकर हैं जाते
काश वहां पल, ठहर जाता
जब वे आते, मेरी जिंदगी में।।
आसां हो जायेगी, हर मुश्किल
जब वे, साथ होंगे मेरे
जिंदा हैं हम, इसी आस में
खुले रखें हैं दर, अपने घर में।।
कोई ख़ता तो, की नहीं
फिर क्यूँ हैं, वे मुझसे खफ़ा
विराने को रौशन करो आकर
ठहर जाओ, मेरी निगाहों में।।
अब इंतेहा हो गई, इंतजार की
सब्र का बांध, है टूट रहा
सांसें कम हो रही, रफ्ता रफ्ता
अब मिलेंगे 'मधुर 'अगले जनम में।।