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AMEY SAXENA

Tragedy

3  

AMEY SAXENA

Tragedy

सोचा क्या और हुआ क्या

सोचा क्या और हुआ क्या

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सोचा था कि अच्छा होगा,

लेकि न कुछ और ही हो गया!


अच्छा हुआ तनिक भी नही

और जो था वो भी खो गया।


कौन है वह मूर्ख

जिसने इनको ऊंचा बनाया।


मनैं तो बस देखकर मन में-

“ऊंची दुकान

फीके पकवान” दोहराया।


शीतल आकर्षण के वे झरने-

बात बात पर दिखलाए।


अदंर के वे सूखे कांटे

काफी बाद में दिखलाए।


अब इस खिलवाड़ से कैसे निकले?

ये समझ नहीं आता है।


समझ आ गया कि अब कुछ नहीं है!

जो होगा वो नीति और श्रम बताता है|


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