सोच बदलो
सोच बदलो
बदल सको तो तुम अपनी सोच को बदल डालो,
माना दृष्टिकोण को बदलना इतना आसान नहीं,
लेकिन अपना एक कदम बढ़ाकर तो देखो तुम,
बदलाव होगा जरा सोच बदलकर तो देखो तुम,
आज भीड़ में हर व्यक्ति खलनायक बन बैठा है,
धर्म की आड़ में अपनी बहु बेटियों को लूटा है!
हर क्षण हजारों आवाज़ हर दिशा से गूंजती है,
उन आवाजों में करुण- कातर स्वर सुनाई देता,
सोच नहीं बदली नारी के विपक्ष में खड़ा रहता,
बदल सको तो तुम अपनी सोच को बदल डालो,
नारी का सम्मान करने में पीछे क्यों हट जाता है,
समाज अपना दृष्टिकोण क्यों नहीं बदल पाता है,
रावण का पुतला फूंककर झूठी खुशी मनाते जो,
पहले अपने अंदर के रावण को भस्म कर डालो,
बदल सको तो तुम अपनी सोच को बदल डालो,
अगर लगा सको तो सुंदर फूलों के बाग लगाओ।
