संवेदनहीनता
संवेदनहीनता
मैं भारतीय वशिन्दों का
कौतुक दिखलाने आया हूँ !
मैं असंवेदी भारत का
हाल दिखाने आया हूँ
फिर चाहे चौराहों वाली
छोटी हाथापाई हो
चाहे हाट-बाजारों वाली
राईफल लेस लड़ाई हो
चाहे दुर्घटना हो जाए
छोटे से चौराहों पर
चाहे कोई प्राण त्याग दे
सिंगल लेन की रहों पर
मैं शर्म भरी उन लोगों पर
करताल बजाने आया हूँ
मैं असंवेदी भारत का
हाल दिखाने आया हूँ
चाहे कोई भरी सड़क पर
माँ के चीरों को फाड़े
चाहे कोई भरे बाजारों
चाकू और खंजर मारे
चाहे कोई शीश काट दे
मस्जिद और गुरुद्वारों पर
इंसानों की बलि चढ़ादे
मंदिर के दरवारों पर
मैं इनकी वह हास्यपरक
गरिमा दिखलाने आया हूँ
मैं असंवेदी भारत का
हाल दिखाने आया हूँ
चाहे आस पड़ोसों की
नारी प्रताड़ित होती हो
चाहे बाहर चीख-चीखकर
जोर-सोर से रोती हो
चाहे घर के दरवाजे पर
कोई शिशु चिल्लाता हो
भूखा पेट बिलखती चीखें
चिल्लाकर मर जाता हो
मैं निष्ठुर लोगों को
संवेदनशील बनाने आया हूँ
मैं असंवेदी भारत का
हाल दिखाने आया हूँ
यूँ तो भारत देश में गायें
घर-घर पूजी जाती है
और गायों की तश्करी पर भी
लाशें बिछ जाती हैं
फिर क्यों गायें पूजनीय
होकर भूखी मर जाती हैं ?
लाश बिछाने वाली जनता
फिर क्यों चुप रह जाती है ?
मैं झूठा सुवांग रचाने वालो को
समझाने आया हूँ
मैं असंवेदी भारत का
हाल दिखाने आया हूँ।
असहाय की कर सहायता
हम मानव कहलायेंगे
मिलकर पूरे भारत को
संवेदनशील बनाएंगे
सांत्वना भी देंगे
सुख-दुःख में भी साथ निभायेंगे
मिलकर पूरे भारत को
संवेदनशील बनाएंगे
मैं हर भारत वासी को
ये बात सिखाने आया हूँ
मैं असंवेदी भारत का
हाल दिखाने आया हूँ।