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Raja Sekhar CH V

Abstract

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Raja Sekhar CH V

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संतति स्नेह

संतति स्नेह

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प्रकृति का है एक विचित्र नैसर्गिक प्रकृति,

अत्यधिक यत्नशील होकर बनाई है समस्त जीव जनजाति।


सभी जीवंत प्राणियों को है जीने का अधिकार,

अपने प्राणशक्ति प्रति जीवजंतु के सजीव रहने का है आधार।


प्रति पशु पक्षी चाहते हैं अपने लिए संतति,

जिसके बिना हस्ती जैसे प्रजाति भी आगे नहीं है गति।


हर प्राणी के पास है अपने संतान हेतु स्नेह ममता,

प्रति मुहूर्त में बच्चों के लिए है प्रेम ही प्रेम,

इस शर्तरहित निःस्वार्थ प्रीति का कभी नहीं है विश्राम विराम।


प्रति पूर्वपुरुष अगले प्रजनन को दिय जाते हैं कार्यकुशलता,

संतान को यह समयोचित पथप्रदर्शन सदा देता है सुदृढ़ दक्षता।


हर माता-पिता का संतति प्रति स्नेह है सदैव जीवंत,

इस जन्म-मृत्यु पुनर्जन्म का असीमित चक्र है सर्वदा अनंत।


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