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V. Aaradhyaa

Inspirational

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V. Aaradhyaa

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संस्कृति से सींचे नई पौध

संस्कृति से सींचे नई पौध

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संस्कृति अपने भारत देश की, है बड़ी महान ।

गुण इसके जग पूजता , गुणियों की है खान ।।

राम कृष्ण जन्मे यहाॅं , लिए मनुज अवतार ।

महिमा उनकी है बड़ी, जग गाता नित गान ।।


हो रहा था राजतिलक, छोड़ मिला वनवास ।

शिकन एक आई नहीं , तज सिंहासन आस।।

वन के पथ पर चल पड़े, प्रथम कर्तव्य मान ।

प्राण जाए पर वचन नहीं ,सीखे पीढ़ी काश ।।


बड़ों का अभिवादन है , वृद्धों का सम्मान ।

छोटों को सहेज रखें , देकर नित ज्ञान ।।

गरिमामयी&n

bsp;संस्कृति से, सींचते नई पौध ।

बड़ा बड़ा ही है यहाॅं , लघु को देते मान ।।


गुरु चरणों में बैठकर , होते हम समृद्ध ।

मीठे बोल वचन रखो, होना कभी न क्रुद्ध ।।

निज जड़ों से रहो जुड़े , इसमें है कल्याण ।

वेद पुराण पढ़ो सदा , सभी आबाल -वृद्ध ।।


वेद पुराण ग्रंथ सभी, भरे ज्ञान के हैं भंडार ।

इनको पढ़कर आदि से , सीख रहा संसार ।।

आध्यात्मिकता देश की , बनी रही सिरमौर ।

भौतिकता डूबें नहीं , भारत संस्कृति सार ।।




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