संसार
संसार
वाह रे मालिक कितना बदल गया संसार,
अब यह घर ही मंदिर है और यही है चारों धाम।
यही है स्कूल और घर में ही है दफ्तर,
घर में है यह सारे तीज और त्यौहार।
लेकिन सबके दिलों की दरारें अब हो गई है कम,
सबकी जिंदगी में थोड़ी खुशी है और थोड़े है गम।
जिसने संतोष रूपी धन को पा लिया,
सोचो उस ने सब कुछ पा लिया।
अब घर पर ही सब कुछ है,
जो भी कुछ है यही हमारा ओढ़ना और बिछौना है।