संसार
संसार
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धरती से जुड़े हम केवल एक
शिव सर्वत्र
एक मानव एक सृष्टि
धरती से पाताल तक
एक जीव है
मनुष्य जीव जंतु
हम एक ही विधाता के
बच्चे है
फिर ये मार काट
प्रतिद्वंदिता क्यो
मनुष्य ही मनुष्य का आज दुश्मन
कुछ दिन के लिए हम है
कोई भी अमर नहीं
हर वस्तु हर जीव नश्वर
फिर किस चीज के मोहपाश में बंधे हम सब
एक ही ईश्वर के बच्चे फिर भेद क्यो
अपनी अपनी ताकत दिखा
एक दूसरे से विमुख क्यो हो गए हम सब
एक ईश्वर एक कुटुम्ब