संसार को देवभूमि बनाओ
संसार को देवभूमि बनाओ
चारों तरफ फैल गया ना जाने कैसा मायाजाल
साधनों से सम्पन्न होकर भी मन से हुए कंगाल
उखड़े उखड़े चेहरों पर मुस्कान कभी न आती
आजकल ना जाने सबको कैसी चिन्ता सताती
क्या होगा मेरा इसी चिन्ता में सब रहते घबराए
भला करो तो भला होगा ये बात कौन समझाए
अपने फायदे के प्रति सब हो गये इतने चिन्तित
पाप का बोझ चढ़ाकर भी नहीं सोचते किंचित
कुछ भी तकलीफें आए किन्तु करते जाते पाप
खुद ही खुद पर थोपते जाते जाने कितने श्राप
उलझ गए हैं उसमें ही जो खुद ने बनाया जाल
शक्ति सारी खत्म हो गई थककर हो गए निढ़ाल
रो रोकर सभी पुकारते कोई तो आकर छुड़ाओ
माया के इस मकड़जाल से आकर हमें बचाओ
ऐसे ही समय पर खुद परमात्मा धरती पर आते
मायाजाल से निकलने की सरल विधि बतलाते
कहते वो हम सबको श्रीमत पर कदम बढ़ाओ
दुख से मुक्त होना है तो पावन खुद को बनाओ
त्यागो सारी इच्छाएं इन्द्रियों का सुख पाने की
फिक्र करो सिर्फ तुम खुद को पावन बनाने की
मन बुद्धि को बना लो इतना स्वच्छ और साफ
कर पाओ हर किसी की गलतियों को तुम माफ
अपना हृदय प्रभु समान विशाल बनाते जाओ
ईश्वरीय मत पर अपना चरित्र निखारते जाओ
एक भी अवगुण का बच ना पाए कोई निशान
बनाते जाओ अपना चरित्र देवताओं के समान
जीवन की यही अवस्था सुखी तुमको बनाएगी
इसी विधि से दुनिया सारी देव भूमि बन पाएगी