संकट
संकट
आज नहीं तो कल बदल जाएगी जिंदगी,
शायद संवर जाएगी जिंदगी ।
रखना होगा थोड़ा धैर्य,
और थोड़ा सा इंतजार ।
दुख की काली अंधियारी के बाद,
सुख की लाली छायेगी।
मनुजता को हर्षाने,
फिर एक नई सुबह आएगी ।
आज नहीं तो कल बदल जाएगी जिंदगी ।
संवर जाएगी जिंदगी ।
डर गया है मानव आज, हुआ है उस पर वज्र प्रहार,
पर डर के आगे जीत छिपी है,
हो रहा ऐसा एहसास ।
करना होगा प्रायश्चित और अपनी भूल स्वीकार,
तभी तो होगा मानवता का,
एक बार फिर से उद्धार,
आज नहीं तो कल बदल जाएगी जिंदगी ।
संवर जाएगी जिंदगी ।
खड़ी हुई है समक्ष हमारे, विपदा एक अनायास ही, इस नई चुनौती का,
करना होगा त्राण हर क्षण, आओ सब मिल लेते यह प्रण,
करके अपना सर्वस्व अर्पण,
बदल कर अपनी जीवन शैली,
और आचार विचार प्रतिक्षण ।
आज नहीं तो कल बदल जाएगी जिंदगी,
संवर जाएगी जिंदगी ।
