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Dr. Saroj Acharya

Abstract

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Dr. Saroj Acharya

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समय

समय

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ये समय का भी कुछ ठीक नहीं

किसी के पास है ही नहीं

किसी के पास बहुत सा

बाँट क्यों नहीं लेते?


किसी का समय कोई लेता नहीं

और किसी को बेवजह,

समय कोई देता नहीं

समय की हालत भी यूँ

कि जैसे चादर के लिए दो लोगों में

खींचतान

जो खींच लेता है ज्यादा

दूसरे को छोड़ देता है

बिन कटे समय की ठण्डक में


कुछ प्रश्न अनुत्तरित हैं

क्या समय जीवित है

क्या सांस लेता है, हमारी तरह

नहीं

फिर ये अच्छा या बुरा कैसे होता है?

ये समय दूरी बढ़ाता है,

या दूरी को समय से नाप सकते हैं

समय कटता है,

या

काटता है


जो समय काटने से नहीं कटता

फिर कटता कैसे है?

समय काटना या समय का कट जाना

क्या समानार्थी है?



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