स्मृति हाज़मे की
स्मृति हाज़मे की
स्मृतियों को मन की
फ़िक्र रहती है
तभी तो वो उसे
अकेला छोड़ती नहीं हैं
कोई खट्टी-मीठी
स्मृति हाज़मे की
खाई है कई बार
जब भी कभी
अकेलेपन की
बदहजमी हुई है
स्मृतियों को मन की
फ़िक्र रहती है
तभी तो वो उसे
अकेला छोड़ती नहीं हैं
कोई खट्टी-मीठी
स्मृति हाज़मे की
खाई है कई बार
जब भी कभी
अकेलेपन की
बदहजमी हुई है