समर्पण
समर्पण
मैं बनूँगी सांझ और सुकून तुम्हारा
तपती दोपहरी की छाँव,
तुम्हारी थकी हुई देह के लिए
मैं बनूँगी बिछौना
तुम्हारी उलझनों की राहत मैं
तुम्हारे सवालों का जवाब मैं।
मेरे सारे समर्पण तुम्हारे लिए है प्रिये!
मैं बनूँगी सांझ और सुकून तुम्हारा
तपती दोपहरी की छाँव,
तुम्हारी थकी हुई देह के लिए
मैं बनूँगी बिछौना
तुम्हारी उलझनों की राहत मैं
तुम्हारे सवालों का जवाब मैं।
मेरे सारे समर्पण तुम्हारे लिए है प्रिये!