STORYMIRROR

भारती गौड़

Romance

3  

भारती गौड़

Romance

समर्पण

समर्पण

1 min
279

मैं बनूँगी सांझ और सुकून तुम्हारा

तपती दोपहरी की छाँव,

तुम्हारी थकी हुई देह के लिए

मैं बनूँगी बिछौना

तुम्हारी उलझनों की राहत मैं

तुम्हारे सवालों का जवाब मैं।

मेरे सारे समर्पण तुम्हारे लिए है प्रिये!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance