STORYMIRROR

भारती गौड़

Others

3  

भारती गौड़

Others

यही होता है

यही होता है

2 mins
13.8K


जब भी तुमको सोचूँ यही होता है

आकस्मिक खालीपन निकल आता है

चारों तरफ़ यही होता है

और भर देता है व्याकुलता का एक अथाह बोझिल सागर ..

एक बियाबाँ में ला पटकती है

वो सारी ही तमाम स्मृतियाँ

जहाँ बसती हो सिर्फ़ तुम

दिखती हो सिर्फ़ तुम |

मैं दौड़ लगाता हूँ ख़ुद से ख़ुद तक की

और करता हूँ लाखों लाख कोशिशें

पर तुम्हारी निर्मम कठोर स्मृतियाँ

जीत नहीं पाता मैं उनसे कभी भी |

मेरे हिस्से के आधे अधूरे गुनाह

मेरे आधे पाप या पूरे पाप

जिनको नकारता मैं मूर्ख

ये सोचकर कि तुम भी हो जाओगे शामिल

मेरी चालाकी भरी मूर्खता में |

और क्यों करता हूँ मैं इंतेज़ार तुम्हारे आने का

कहीं भी किसी भी वक़्त

भटकता हूँ तुम्हारी खोज में

विक्षिप्तों की मानिंद

यहाँ नहीं हो वहाँ नहीं हो

कहीं भी नहीं हो

फिर भी |

मुझ पर हँसती ये रात

करती है चाँद से मेरी चुगली

और ये अहंकारी चाँद

चाँदनी से करता है मेरी शिकायतें

मुझ पर हँसते है ये सितारे सारे

नहीं कोई परवाह मेरी व्याकुल आत्मा की इन्हें 

और ये भी होगा कभी कि

जब भी तुमको सोचूँ यही होता है

आकस्मिक खालीपन निकल आता है

चारों तरफ़ यही होता है

और भर देता है व्याकुलता का एक अथाह बोझिल सागर ..

एक बियाबाँ में ला पटकती है

वो सारी ही तमाम स्मृतियाँ

जहाँ बसती हो सिर्फ़ तुम

दिखती हो सिर्फ़ तुम |

मैं दौड़ लगाता हूँ ख़ुद से ख़ुद तक की

और करता हूँ लाखों लाख कोशिशें

पर तुम्हारी निर्मम कठोर स्मृतियाँ

जीत नहीं पाता मैं उनसे कभी भी |

मेरे हिस्से के आधे अधूरे गुनाह

मेरे आधे पाप या पूरे पाप

जिनको नकारता मैं मूर्ख

ये सोचकर कि तुम भी हो जाओगे शामिल

मेरी चालाकी भरी मूर्खता में |

और क्यों करता हूँ मैं इंतेज़ार तुम्हारे आने का

कहीं भी किसी भी वक़्त

भटकता हूँ तुम्हारी खोज में

विक्षिप्तों की मानिंद

यहाँ नहीं हो वहाँ नहीं हो

कहीं भी नहीं हो

फिर भी |

मुझ पर हँसती ये रात

करती है चाँद से मेरी चुगली

और ये अहंकारी चाँद

चाँदनी से करता है मेरी शिकायतें

मुझ पर हँसते है ये सितारे सारे

नहीं कोई परवाह मेरी व्याकुल आत्मा की इन्हें 

और ये भी होगा कभी कि

मैं बंद कर दूँगा कोशिशें उन निर्मम स्मृतियों से भागने की

तब शायद आओगी तुम

और दे जाओगी कुछ और स्मृतियाँ

जिनमे खोजता फिरूँगा फिर से तुम्हें

फिर लगाऊँगा कुछ और उम्मीदें

फिर हो जाऊँगा थोड़ा और पागल

और लिखूँगा अपने अंतिम लफ्ज़

तुम्हारी यादों के लिऐ

तुम्हारी यादों को लिऐ  |

 

 


Rate this content
Log in