समझदारी
समझदारी
बापू जी के बंदर तीन
संदेश देते बड़ा संगीन
बुरा बोलो, बुरा मत सुनो
बुरा मत देखो बनो रंगीन।
बहुत गूढ़ अर्थ इनका भाई
संयम जीवन की कमाई
कुछ कहने से पहले सोचो
वरना हो सकती लड़ाई।
कोई कुछ कहे तुमसे
न तुम बुरा कहो उसे
थक हार कर लौटेगा
माफ़ी माँगेगा तुमसे।
बुरा देखो तो न करो बखान
अपनी खराब होगी जुबान
फायदा न कुछ होने वाला
बुरी बातें सडा़एँगी कान ।
गर बोलोगे तुम बुरा
बुरा ही तुम पाओगे
सुधार कुछ न होगा
बुरे तुम बन जाओगे।
अपने काम से रखो काम
कर्म सत् हों रखो ध्यान
बुराई को दूर से सलाम
यही अपना,बनो महान ।
समझदार की यही समझदारी
बुरे लोगों से न करता यारी
सत्कर्मों की सदा तैयारी
देश हित तन मन धन वारी ।