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Kavita Sharrma

Abstract

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Kavita Sharrma

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समानता

समानता

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सारी धरती इक परिवार

फिर क्यों बंटा हुआ संसार  


भारत ने सबको अपना माना

सबसे रखा प्रेम का नाता 


फिर क्यों कुछ धर्म के ठेकेदारों ने

इसे कभी नहीं अपना माना 


कुछ चुनिंदा लोगों ने भारत की

सौहार्द भावना को ही न जाना 


वोट की राजनीति ने देश में किया

अलगाव धर्म ,जाति को

आधार बनाकर फैलाया


भेदभाव आर्टिकल 15 के तहत

सभी को समान अधिकार 


पर अपने स्वार्थ के खातिर

किसे है देश से सरोकार 


अपने अंदर झांको

मानव बदलो अब खुद को भलाई


सबकी तब ही है जब

चले साथ लेकर सब को।


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