समा चुकी हूं
समा चुकी हूं
मैं हाले-दिल मेरा उल्फ़त को सुना चुकी हूँ
मैं तेरे ख्यालों में आकर जो समा चुकी हूँ।
मिली हो गर ख़ुशी मुझसे जश्न तुम मना लो
मैं तुझ पे इश्क़ का जादू जो चला चुकी हूँ।
मैं जिक्र दिल में आने का जब बयाँ करूँगी
तुझे थामना होगा मैं हाथ जो बढ़ा चुकी हूँ।
क्यूँ चाँद से कहा था हसरतें मेरी जगाओ
सोया न चाँद चेन से घर जो बुला चुकी हूँ।
अहसास ने तेरे सुनहरी धूप आज ओढ़ ली
मैं ज़िन्दगी की कितनी सुबह गंवा चुकी हूँ।
लफ्जों पे नाम आया जब से तेरा "नीतू" के
रूमानी हो के तब से तेरे पास आ चुकी हूँ।

