Neeraj pal

Abstract

5.0  

Neeraj pal

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सिज़दा

सिज़दा

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हे !-जगत के पालनहार, कर लो मेरा नमन स्वीकार।

तुम ही मेरे बंधु ,सखा हो, तुम ही मेरे जीवन का आधार।।


 हम तो ठहरे भोले भाले- बालक, समझ न सके तेरी लीला को।

 तुम तो सब कुछ वार रहे , ले न सके तेरी दौलत को।।


 दुःख राग सदा तुम दूर भगाओ, मुझको अपने उर से  लगाओ।

 रोना-धोना मुझसे बन नहीं पाता, कृपा कर अपना दरस दिखाओ।।


 अंतर्मन में धीर बंधाओ, हृदय में मेरे तुम बस जाओ।

 बुद्धि- विवेक को निर्मल बनाओ, गोदी में तुम अपने सुलाओ।।


 ठोकर खाकर आया तेरे दर पर, अपने दर का सेवक तुम बनाओ।

"नीरज, बैठा "सज़दा, करने को, प्रार्थना मेरी तुम अपनाओ।।


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