सिज़दा
सिज़दा
हे !-जगत के पालनहार, कर लो मेरा नमन स्वीकार।
तुम ही मेरे बंधु ,सखा हो, तुम ही मेरे जीवन का आधार।।
हम तो ठहरे भोले भाले- बालक, समझ न सके तेरी लीला को।
तुम तो सब कुछ वार रहे , ले न सके तेरी दौलत को।।
दुःख राग सदा तुम दूर भगाओ, मुझको अपने उर से लगाओ।
रोना-धोना मुझसे बन नहीं पाता, कृपा कर अपना दरस दिखाओ।।
अंतर्मन में धीर बंधाओ, हृदय में मेरे तुम बस जाओ।
बुद्धि- विवेक को निर्मल बनाओ, गोदी में तुम अपने सुलाओ।।
ठोकर खाकर आया तेरे दर पर, अपने दर का सेवक तुम बनाओ।
"नीरज, बैठा "सज़दा, करने को, प्रार्थना मेरी तुम अपनाओ।।