"सिर्फ़ तुम"
"सिर्फ़ तुम"
जिंदगी की आखरी सांस तक साथ निभाना तुम
मुबारक हो सालगिरह, मेरी खुशी की खुशी हो तुम
दिल के आईने में रहती हो, सिर्फ अर्धागिनी तुम
मेरी बदसूरत जिंदगी की सँवरी, तस्वीर हो तुम
तुम बिन, जी के क्या करूँ, साँसों की सांसें हो तुम
वो फूल भी देते है, शूल जिसमें न हो भार्या तुम
कोई जीने के लिये मरता है, मैं तेरे लिये मरता हूं
मेरी जीने और मरने की सिर्फ वजह हो, पत्नी तुम
क्या खुशी, क्या गम, तुम बिन सब व्यर्थ है, हमदम
तेरे साथ से महके, पतझड़, सावन फुहारें हो तुम
तुम दिल की आवाज हो, जब रहते तुम साथ हो
अंगारों पर शबनम की ठहरी हुई बूंदें हो, जी तुम
कभी साथ न छोड़ना, न तो मुरझायेगा यह सुमन
इस फूल की बंदगी की रवायत हो, श्रीमतीजी तुम
जब भी तुम जाओ जग छोड़, मुझे नहीं देना छोड़
कोई कुछ कहे, मेरी रूह की इज्जत हो सिर्फ तुम
नरक में भी, मेरे तो स्वर्ग का निर्माण हो जाएगा,
गर गृहस्वामीनी जी साथ रहोगे, सदैव मेरे तुम
इस दिल की रानी हो, तुम मेरी जिंदगानी हो
कभी न रूठना मुझसे, लबों की हंसी हो तुम
हर हाल में रह लूंगा, तुम्हारे बगैर एक पल नहीं
जिंदगी के आफताब, मेरी जिंदगी हो सिर्फ तुम।