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Sirmour Alysha

Abstract

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Sirmour Alysha

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« सिमटती ख़ामोशी आहिस्ता »

« सिमटती ख़ामोशी आहिस्ता »

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अफ़साने क़ब्र-गाह कफ़न रहें आहिस्ता

आब-ए-ख़ूँ तलक गुंज हर-सू आहिस्ता,


गुफ़्तगू मलाल कसक दहके आहिस्ता

अमल हर्फ़ हसरतें दफ़्न मिट्टे आहिस्ता,


शोर शोर यादें रातें मुफ्त बिखेरे बहत

अक़्श पर मुबहम मलूल रहें आहिस्ता,


फ़कत मय्यत तमाम काया पाक़ रख

सांसों से सिमटती ख़ामोशी आहिस्ता,


गोरिस्तां सवालों का एक नमी तलब की

बेमंजिल निशान बनूं राहगीर आहिस्ता,


सफ़रनामा वाक़िए बा-खुदा कल्ब दफ़न

मजरूह जज़्बे तहरीर इब्तिदा आहिस्ता!


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