सीमा
सीमा
औरत जीवन
सीमाओं से परिपूर्ण
ऐच्छिक कुछ नहीं
जिसने किया
सीमाओं का उलंघन
उसका जीवन बना दुष्कर।
हर कार्य
उसके लिए
सीमा निर्धारित
उसमें रह
पूर्ण करना
उसका कर्तव्य।
बदलाव आ रहा है
सीमाएँ टूट रहीं हैं
पर अधिकतर
परिणाम भयानक
और भी भयावह
जब कदम
बिना सोचे समझा उठा।
सीमाएँ भी जरूरी हैं
पर एक सीमा तक
एक हद तक
जहाँ मन विरोध न करे
स्वीकारे
उसी अनुरूप
स्वयं को ढाले।