सीख
सीख
एक माँ समझाती है बच्चे को बेटा मन लगाकर करो पढ़ाई,
याद रखना हमेशा तुम्हें जो मैने बाते सिखाई,
शिक्षित मनुष्य ही है समाज मे आदर पाता,
पैसे भले कम हो बेटा पर शिष्टाचार है सभी के मन को भाता,
सच्ची और हमेशा साथ देने वाली दोस्त होती हैं किताबें,
बिना शिकायत और कोई मांग किये ये तुम्हे सिखाएंगी बहुत सारी बातें,
सच्चे मन से करो पुस्तकों का अध्ययन,
हो सकता है अच्छे पद पर हो जाये तुम्हारा भी एक दिन चयन,
बिटिया हो तो हो जाती है पढ़ाई और भी जरूरी,
स्वावलंबी बने बेटी न रहे किसी पर निर्भर न हो भविष्य में उसे कोई मजबूरी,
कवितायें और कहानियां पढ़ना सीखो मन लगाकर,
उनसे मिली सीख को अपनाओ जीवन में अच्छा बनकर,
ले जाता है साहित्य हमे कल्पना की दुनिया मे,
कल्पना करना सिखाकर ये सवेंदनाये जगाता है मन मे,
मोबाइल टेक्नोलॉजी और वीडीओगेम से जब तक हाथ नहीं छुड़ाओगे,
मन की भावनाओं को तुम समझ नहीं पाओगे,
अच्छी कहानियों को पढ़कर उसकी अच्छी सीख अपनाओगे,
तो निःसन्देह बच्चों एक दिन तुम भी अच्छे दयावान इंसान बन पाओगे।
