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Barsarani Bal

Inspirational

4.9  

Barsarani Bal

Inspirational

.....मेरी मां मेरे लिए लजवबहे

.....मेरी मां मेरे लिए लजवबहे

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पहली धड़कन भी मेरी धड़की थी तेरे भीतर ही,

जमीं को तेरी छोड़ कर बता फिर मैं जाऊं कहां।


आंखें खुली जब पहली दफा तेरा चेहरा ही दिखा,

जिंदगी का हर लम्हा जीना तुझसे ही सीखा।


खामोशी मेरी जुबान को सुर भी तूने ही दिया,

स्वेत पड़ी मेरी अभिलाषाओं को रंगों से तुमने भर दिया।


अपना निवाला छोड़कर मेरी खातिर तुमने भंडार भरे,

मैं भले नाकामयाब रही फिर भी मेरे होने का तुमने अहंकार भरा।


वह रात छिपकर जब तू अकेले में रोया करती थी,

दर्द होता था मुझे भी, सिसकियां मैंने भी सुनी थी।


ना समझ थी मैं इतनी खुद का भी मुझे इतना ध्यान नहीं था,

तू ही बस वो एक थी, जिसको मेरी भूख प्यार का पता था।


पहले जब मैं बेतहाशा धूल मैं खेला करती थी,

तेरी चूड़ियों तेरे पायल क

ी आवाज से डर लगता था।


लगता था तू आएगी बहुत डाटेंगी और कान पकड़कर मुझे ले जाएगी,

माँ आज भी मुझे किसी दिन धूल धूल सा लगता है।


चूड़ियों के बीच तेरी गुस्से भरी आवाज सुनने का मन करता है,

मन करता है तू आ जाए बहुत डांटे और कान पकड़कर मुझे ले जाए।


जाना चाहती हूं उस बचपन में फिर से जहां तेरी गोद में सोया करती थी,

जब काम में हो कोई मेरे मन का तुम बात-बात पर रोया करती थी।


जब तेरे बिना लोरियों कहानियों यह पलके सोया नहीं करती थी,

माथे पर बिना तेरे स्पर्श के ये आंखें जगा नहीं करती थी।


अब और नहीं घिसने देना चाहती तेरे ही मुलायम हाथों को,

चाहती हूं पूरा करना तेरे सपनों में देखी हर बातों को।


खुश होगी माँ एक दिन तू भी,

जब लोग मुझे तेरी बेटी कहेंगे।


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