सीख (नारी का अपमान न कर)
सीख (नारी का अपमान न कर)


वीर शिवाजी की धरती का, तू थोड़ा सम्मान तो कर
दुष्ट दुशासन एक नारी का, तू ऐसे अपमान ना कर
राख उड़ेंगे तेरी दंभ के, सत्ता के शमशानों में
चार दिन की भीख चांदनी, का इतना अभिमान न कर
मान मर्दन से बच ले मुरख, शेर बाप की शान समझ
लाज रख उस शूर रक्त का, तू उसकी पहचान समझ
कर बैठा तू भूल वहीं, कामी रावण ने दोहराया जो
ढेर हुई सोने की लंका, एक नारी से टकराया जो
अरे नीच अधमी खल बुद्धि, इतना क्यूं तू पतित हुआ
तेरी कुंठित सोच देख, आज सारा भारत द्रवित हुआ
पढ़ ले तू वृतांत पतन का, कैसे दुर्योधन धूल हुआ
कैसे मिटे भाई सौ कौरव, कैसे नाश समूल हुआ।