अमर बलिदानी महाराणा प्रताप
अमर बलिदानी महाराणा प्रताप
तू शूरवीर, तू महावीर,
तू परमवीर, धरती का लाल...
चितौड़ पूत्र, क्षत्रिय श्रेष्ठ,
वीरों के वीर, सिंह तू विशाल...
गाथा तेरी, कैसे हो वर्णन,
महिमा हिमालय, सा विकराल...
साहस के, सर्वोच्च शिखर,
पराक्रम का तू, शिख भाल...
महाराणा है, नाम अमर,
इतिहास की गोदी, भई भरी...
पैरों की, तेरे धूल अगर,
मिल जाएं, तो हो असीम घड़ी...
वो घास भी, तर गए होंगे,
जिसकी रोटी, तूने खाई...
वो कंटक भी, हों फूल बने,
जिस रस्ते, गुजरे तेरी परछाईं...
ऐ मातृभूमि के, शीश मुकुट,
दुश्मन भी, नतमस्तक तुम पे...
ऐ कर्मयोगी, तेरा त्याग देख,
अकबर भी था, गर्वित तुमपे...
अब विरले ही, कोई जन्म ले,
जो महाराणा सा, उठ पाए...
बलिदानी की, एकल परिभाषा,
भारत की छाती पर, गढ़ पाए...
जब तक रहे, सूरज में गर्मी,
जब तक शीतल, वो चाँद रहे...
तब तक भारत के, कण कण में,
महाराणा तेरा, नाम रहे..