सीख, मनवा!
सीख, मनवा!
हरि से ले तू सीख, मनवा!
हरि से ले तू सीख
जग तारनहारे हाथों भी थी संघर्ष लकीर
छोड मात का साया जाना पड़ा जमुनापार
खेलनकी उमरमें करना पड़ा असूरसंहार
भीड के भंजनहारे को क्या कम पडी थी भीड?
हरि से ले तू सीख, मनवा!
हरि से ले तू सीख
महलसुख को छोड़ के भटक्यो बन बन राजदुलारो
गांधारी को श्राप लियो पग लाग्यो तीर अकारो
नीपजी थी जो पीड से, वो गीता ही हरती पीड
हरि से ले तू सीख, मनवा!
हरि से ले तू सीख
मनमोहन मुस्कान के पीछे जग को नाहिं दिखै
मधुराधिपति के मनमें भी कितने कष्ट है छिपै
धरनी पडी हरिको भी, तो तू काहे धरै ना धीर?
हरि से ले तू सीख, मनवा !
हरि से ले तू सीख