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syed abdul Basith

Romance

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syed abdul Basith

Romance

सिगरेट का धुआं

सिगरेट का धुआं

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हाँ पिता हूँ मैं सिगरेट

कुछ कष्ट भूलते हैं


उस धुयें की तरह

जो हवा मैं उड़ जाते हैं

ग़म की तरह


मुझे खुद पता नहीं चला

कि कब मैं उस नशे में

धुंध होता गया


जिस तरह उस

बेवफा को प्यार किया


आज शायद उसको

याद नहीं आती होगी मेरी


फिर भी मैं उसे याद

कर लेता हूं उस नशे की तरह।


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