शून्य
शून्य
शून्य से आए हैं
शून्य में समा जाएंगे
शून्य के रहस्य को
हम फिर भी न समझ
पाएंगे
शून्य में ब्रह्म छुपा
शून्य है परमात्मा
अनेकों रहस्य लिए
शून्य ही है आत्मा
शून्य ही आरंभ है
शून्य में अंत छिपा
शून्य का अनंत विस्तार
कोई भी न समझ सका
शून्य देकर ही जगत को
भारत जग में महान बना
शून्य ही निराकार शिव
शून्य में ब्रह्मांड बसा
