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Gayatri Singh

Abstract

5.0  

Gayatri Singh

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शुभता हित बदलाव

शुभता हित बदलाव

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सतत बदलाव कुदरत का, इसे ना बदल  पाएंगे

बदल परहित में हम खुद को जगत सुंदर बनाएंगे।


तजें  सदा त्याज्य कर्मों को , सदा करें  शुभता  से  प्यार

मिटाने गमों और लुटाने को खुशियां, बदलते रहेंगे हम बारंबार।

अडिग रहें अधर्म  मर्दन को ,   धर्म हित देवें  जीवन बार !

सतत संगति में रहें हमेशा  , है कुसंग  विष  से    बेकार

दोषों   से रहें    बचे हमेशा, वह  आचरण   बनाएंगे।

सतत बदलाव कुदरत का, इसे  ना..।


शुभता हित में वचन भी छोड़ें, नचिकेता सा दिखाएं दम

यदि हो मांग चीर रक्षण की, भीष्म प्रतिज्ञा  तोड़ें  हम।

पिता ने देखें हर एक कुरु में, कटु निर्णय का दिखाएं दम

जला ज्योति खुशियों की हमेशा, मिटा हर एक अशुभ सा तम।

कर संगठित पूर्ण शक्ति  को, हम  रामराज्य ले आएंगे 

सतत बदलाव कुदरत का, इसे ना..।


सत्य- शिव और सुंदर की, अलख  सब में जगाएंगे।

शून्य   से  ही तो उपजे थे, समा उसमें  ही   जाएंगे।

न लेकर कुछ भी आए थे, न  लेकर कुछ  भी  जाएंगे । 

जिएं   अमरत्व जीवन सब, युगों तक  कीर्ति  पाएंगे।

क्या हम प्रस्थान से पहले, लक्ष्य  जीवन  का  पाएंगे ?

सतत  बदलाव कुदरत का, इसे ना...।


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