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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Inspirational

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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Inspirational

श्राद्ध

श्राद्ध

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अपने पुरखों की आत्मा की तृप्ति के लिए

वैदिक काल से हम करते आ रहे हैं श्राद्ध

पीढ़ी दर पीढ़ी यह परंपरा जीवित है 

कौओं को पकवान खिलाकर 

हम अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेते हैं ।

 

सुनो साथियों -

जीते जी अपने बुजुर्गों की ले लो सुध

बाद मृत्यु के शोक मनाने,

भंडारे करने का क्या मतलब ?

पितृऋण अगर चुकाना चाहते हो,

पितृमुक्ति अगर चाहते हो

तो उनके जीते जी ही 

उनकी जीवित आत्मा को तृप्त करो ।


मरने के बाद,

स्वर्ग सिधारे 

हमारे पूर्वज

भला पकवानों का क्या स्वाद चखेंगे ?



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