शोर ए दिल
शोर ए दिल
दिल से उसको गर पुकारोगे, तो आयेगा ज़रुर ।
प्यार से उसको मनाना, मान जायेगा ज़रूर ।।
नफ़रतों की आग को आकर बुझायेगा ज़रूर ।
दरम्यां के फ़ासले को, वो मिटाएगा ज़रूर ।।
खूब वाकिफ़ हूँ मैं उसकी, आदतों से देखना ।
रूठ जाओगे अगर तुम, वो मनायेगा ज़रूर ।।
अपने साये पे भी करता, वो नहीं बिल्कुल यकीं
उसकी फ़ितरत है तुझे वो, आज़मायेगा ज़रूर ।
उसका दावा जाँचना हो, दूर जाकर देख लो ।
ग़म भरे नग़मे, शब ए हिज्रां में, गायेगा ज़रूर ।।
कह रहा था वो भरी महफ़िल में, फ़ख़्र-ओ-शान से ।
ज़िन्दगी की दास्ताँ, सब को सुनायेगा ज़रूर ।।
प्यार करना जिसकी आदत, है 'शशी' वो एक दिन ।
गुल मुहब्बत के चमन में, वो खिलायेगा ज़रूर ।