Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Ravindra Lalas

Abstract

4.5  

Ravindra Lalas

Abstract

शोले की स्याही में सत्ता की सूरत

शोले की स्याही में सत्ता की सूरत

2 mins
321


शोले की स्याही मे सत्ता की सूरत,

समझे सयाने, नासमझे मूरख।


ठाकुर तो मानो एक घोषणा पत्र,

राम राज्य हो जैसे एकछत्र।


और गब्बर के जैसा हाहाकार,

ज्यों गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार।


ठाकुर ने किया गब्बर को कैद,

लेकिन गब्बर ठहरा बङा मुस्तैद।


इधर जो पकङा, तो उधर फरार,

ठाकुर को हाथों से किया लाचार।


फिर घोषणापत्र ने संधि कराई,

जय और वीरू की जोङी बनाई।


जय में जनता, सूझ और क्षमता,

वीरू में सेवक कि छवि भर आई।


दोस्ती का दम, चुनाव का आलम,

ना छुटे साथ ये गाने का मौसम।


चंचल बसंती है वीरू की चाहत,

जनता की सेवा कुर्सी की राहत।


जनता के जय में रामगढ़ बसा है,

शनि की जिसको लगी दशा है।


ठाकुर-गब्बर की जमी बिसात,

तुम डालडाल तो हम पात पात।


रामगढ़ के रंगो में रौनक आई,

जबरन वसूली पे रोक लगाई।


होली की हंसी पै हुआ जो हमला, 

थी ठाकुर की ऑंखो में लाचारी छाई।


मौका-ए-महफिल मे फंसा जो गब्बर,

तो किस्मत ने उसकी जान बचाई।


रहीम-अब्दुल पे किया कभी घात,

तो कहीं धन्नू-बसंती का छूट गया साथ।


सत्ता के सेवक के बंधे गए जब हाथ,

हुई सत्ता फिर बेबस सेवक के साथ।


जयमय जनता ने जोखिम उठाया,

सेवक-सत्ता को क्षय से बचाया।


गब्बर की फौज ने फिर लगाया घेरा,

जय बोला एक सिक्के में नसीब मेरा।


सत्ता और सेवक के संकट को हरा,

जब जनता ने जनार्दन का रूप था धरा।


सेवक ने गब्बर, फिर ठाकुर को सौंपा,

जय का ही वादा था, नही था कोइ धोखा।


ठाकुर के आगे कानून बेजोङ,

गब्बर की गाथा में पहचाना मोङ।


सेवक संग सत्ता ये साथ सुखदायी,

हो गब्बर या जनता सब पीर पराई।


शोले की स्याही मे सत्ता की सूरत,

समझे सयाने, नासमझे मूरख।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract