शिव स्तुति
शिव स्तुति
महा-महा महाकाल शिव शंकर कैलाशी
डम-डम-डम डमरू बाजे भोले का अविनाशी
धूनी रमाए और भुजंग कंठ धारते
ऊं महाशब्द भोले बाबा उच्चारते !
तन पे भस्म वाघ छाल
और नेत्र लाल हैं
विषधारी नीलकंठ
यही महाकाल हैं ,
डम-डम-डम डमरू बाजे भोले भंडारी का
चंद्र पहरेदार है भोले त्रिपुरारि का
जटा जूट शिवशंकर तीन लोक नाथ हैं
नन्दी की सवारी है भूत प्रेत साथ हैं !
'रौद्र' रूप महाकाल
'हनुमत' विकराल है
क्रुध देह तांडवम
आता भूचाल है ,
जटा-जटा जटाओं में गंगा की धार है
अमरनाथ भोले की शक्ति अपार है
सिंह-सिंह-सिंह महाकाल के दहाड़ते
कैलाश पर्वत से हाथी चिंघाड़ते !
आरि ज्वाल ज्वाल
महाकाल के ललाट पर
शंभू बाबा कैलाशी
बर्फानी घाट पर ,
हिमाद्रि-तुंग-श्रंग महाकाल आसीन हैं
तारी बांधे महाकाल भक्ति में लीन हैं
पंचानन महाकाल गले मुंड माल है
देवादिदेव महादेव विकराल हैं !
ऊं नमः शिवाय।