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SONU MEENA

Abstract

4.7  

SONU MEENA

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शिव स्तुति

शिव स्तुति

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महा-महा महाकाल शिव शंकर कैलाशी

डम-डम-डम डमरू बाजे भोले का अविनाशी

धूनी रमाए और भुजंग कंठ धारते

ऊं महाशब्द भोले बाबा उच्चारते !


तन पे भस्म वाघ छाल

और नेत्र लाल हैं

विषधारी नीलकंठ

यही महाकाल हैं ,

डम-डम-डम डमरू बाजे भोले भंडारी का

चंद्र पहरेदार है भोले त्रिपुरारि का

जटा जूट शिवशंकर तीन लोक नाथ हैं

नन्दी की सवारी है भूत प्रेत साथ हैं !


'रौद्र' रूप महाकाल

'हनुमत' विकराल है

क्रुध देह तांडवम

आता भूचाल है ,

जटा-जटा जटाओं में गंगा की धार है

अमरनाथ भोले की शक्ति अपार है

सिंह-सिंह-सिंह महाकाल के दहाड़ते

कैलाश पर्वत से हाथी चिंघाड़ते !


आरि ज्वाल ज्वाल

महाकाल के ललाट पर

शंभू बाबा कैलाशी

बर्फानी घाट पर ,

हिमाद्रि-तुंग-श्रंग महाकाल आसीन हैं

तारी बांधे महाकाल भक्ति में लीन हैं

पंचानन महाकाल गले मुंड माल है

देवादिदेव महादेव विकराल हैं !

ऊं नमः शिवाय।


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