शिव का भक्त
शिव का भक्त
एक शिव का भक्त चला, शिव को रिझाने के लिये।
हाथ में लोटा लिए वो, जल चढ़ाने के लिये।।
जल चढ़ाने जब लगा तो, नजर घंटे पर गई।
सोचने मन में लगा, घंटा चुराने के लिये।।
घंटा चुराने जब लगा तो, घंटा ऊँचा हो गया।
मूर्ती पे वो चढ़ा, घंटा चुराने के लिये।।
मूर्ती पे जब चढ़ा तो, शंभु प्रकट हो गये।
मांग ले वर मांग ले, जीवन बिताने के लिये।।
गिड़-गिड़ा कर जब वो बोला, मैं अधर्मी हूँ प्रभु।
फूल फल दुनिया चढ़ावे, मैं तो सारा चढ़ गया।।
ऐसे भोलेनाथ रहते, हर घड़ी तैयार है।
जो भी उनका नाम लेवे, होवे भव से पार है।।